सुरक्षित दिवाली कैसे मनाएं? जानिए जलने पर घरेलु उपाय

आज हम सुरक्षित दिवाली मानाने के तरीको के बारे में बात करेंगे। क्योंकि आपको पता होगा की दिवाली आने वाली है, जी हाँ इस वर्ष 2020 में 14 नवंबर की शाम दीपावली की धूम मचने वाली है। क्योंकि यह त्यौहार ही धूम-धड़ाके का है, यहाँ हम बात कर रहे है पटाखों और रंगबिरंगी आतिशबाजियों की, वैसे तो दिवाली का दिन आने में तो अभी बहुत समय है।

परन्तु उस समय का इंतज़ार कौन करें? लगभग हर बच्चे का यही सोचना होता है। तभी तो दीपावली से बहुत दिन पहले या दशहरे से ही बच्चे तो मनो बस आतिशबाजी चलाने का मौका ही देख रहे होते है, और इसका भरपूर फायदा भी उठाते है। लेकिन दिवाली में चलाये जाने वाले सभी पटाखे सुरक्षित नहीं होते है।

तो चलिए जानते है की पटाखे हानिकारक क्यों होते है? और सुरक्षित दिवाली मानाने के लिए क्या करना चाहिए? साथ ही जानिए आतिशबाजी से जल जाने पर काम आने वाले कुछ जरुरी घरेलु नुस्खे क्या है?

इस लेख में हम चर्चा करेंगे :

पटाखों से क्या नुकसान होता है?

वैसे तो आतिशबाजी चलाने से हम सभी को बहुत आनंद आता है। पर क्या आपको पता है की चंद मिनट के लिए मनोरंजन करने वाली यह वस्तु कितनी खतरनाक होती है? जी हाँ, क्योंकि अक्सर पटाखे बनाने के लिए कई तरह के रसायन या धातुओं जैसे की – मैग्नेशियम, सोडियम, कैडियम, लेड, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट आदि।

हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल होता है। चूँकि यह सभी तत्व जलने पर जरहरीला धुआं उत्पन्न करते है इसलिए ये कैमिकल्स सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इनसे आपको कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है।

पटाखों से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं निम्नलिखित है –

1. अधिक तेज़ शोर

वैसे तो पटाखे होते ही शोर मचाने के लिए है, पर इसकी भी एक सीमा होती है। चूँकि इन हानिकारक तत्वों से तैयार की गयी आतिशबाजी से निकलने वाली ध्वनि भी 125 डेसिबल से अधिक होती है। इसलिए यह ध्वनि प्रदुषण किसी भी व्यक्ति को बहुत आसानी से बहरा बना सकती हैं। क्योंकि मनुष्य की सुनने की क्षमता 65 डेसीबल तक होती है। ऐसे में कई बार पटाखों से बहरापन हमेशा के लिए भी हो सकता है।

सामान्यतः शोर का मानक स्तर दिन में 55 डीबी और रात्रि के समय लगभग 45 डेसिबल होता है। लेकिन दीपावाली की शाम यह स्तर 70 से 90 डेसिबल तक पहुंच जाता है। इतना शोर कान के पर्दे फाड़कर आपको पूरी तरह बहरा करने के लिए काफी है।

2. स्वास्थ्य समस्याएं

यूँ तो आतिशबाजी से काफी समस्याएं होती है। पटाखों से निकली चिंगारी से आपकी आंखें, त्वचा और चेहरा भी जख्मी हो सकता हैं। इनके जहरीले धुएं से आपको सांस संबंधी बीमारियां होना भी मुमकिन है। खासतौर से दमे के मरीजों या स्वसन तंत्र में समस्या से ग्रस्त लोगों को भी इससे बहुत तकलीफ हो सकती हैं।

क्योंकि इनसे निकलने वाली सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैस तथा लेड सहित अन्य तत्व बहुत अधिक खतरनाक होते है। वातावरण में इन गैसों की मात्रा अधिक होने से श्वसन नली का सिकुड़ना, सांस लेने में परेशानी, श्वास नली में रूकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी कई समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।

3. गर्भवती महिलाओं को खतरा

गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह आतिशबाजी बहुत ही अधिक हानिकारक होती हैं। क्योंकि पटाखों से निकलने वाली जहरीली सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड गैसें जब हवा में घुल जाती हैं। तो यह साँस के जरिये अंदर जा कर माँ और बच्‍चे दोनों को ही नुकसान पहुंचा सकती हैं।

यह गर्भावस्था में घुम्रपान के बराबर ही खतरनाक होता है। जिससे असमय गर्भपात का खतरा भी हो सकता है। इतना ही नहीं पटाखों का तेज़ शोर भी बच्चों में श्रवण हानी का कारण बनता है। जिससे बच्चे जन्मजात बहरापन का शिकार होकर श्रवण बाधित हो सकते है।

4. विभिन्न संक्रमण का खतरा

जितनी आतिशबाजी की आवाज़ नुकसान करती है उतना ही इससे निकलने वाली गैस और धुआं भी हानि पहुँचाता है। क्योंकि पटाखों के स्मॉग (घने धुंए) से आपको खांसी, फेफड़े संबंधी परेशानी, आंखों में संक्रमण, अस्थमा का दौरा, गले में संक्रमण, ह्रदय संबंधी समस्याएं, हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्त चाप), नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस (साँस की नाली में जलन) और निमोनिया जैसी गंभीर समस्यायें होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

5. मरीजों व अन्य जीवों को हानि

पटाखों से हॉस्पिटल में मौजूद मरीजों, वृद्धों और शहरी व वन्य इलाकों में पाए जाने वाले पशु−पक्षियों को भी बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई लोगों को पटाखों के कारण असहजता, अवसाद, घबराहट, चिंता विकार, उल्टी होना और तंत्रिका तंत्र बिगड़ना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

दरअसल, पटाखों से निकलने वाला धुंआ, आवाज और गैस जीव-जंतुओं को बहुत नुकसान पहुंचाती है। कई बार लापरवाही में पटाखों को फोड़ने से लोग अपना हाथ या चेहरा तक जला बैठते हैं। इसके अतिरिक्त लापरवाही से कई अन्य प्रकार की घटनाएं भी हो सकती है।

सुरक्षित दिवाली कैसे मनाएं?

ऊपर हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से आप यह तो जान ही गए होगे की पटाखों से कितनी समस्याएं होती है?

  • तो इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
  • इससे निजात पाने का क्या उपाय है?
  • क्या हम क्रैकर्स (आतिशबाजी) जलाना बंद कर दें?
  • क्या दीपावली के अवसर पर पटाखे इस्तेमाल करना गलत होता है?
  • क्या आतिशबाजी के इस्तेमाल से यह पर्व खराब हो रहा है?
  • क्या इस अवसर पर पटाखे न जलान ही एकमात्र उपाय है?

खैर इसका फैसला तो आप पर ही छोड़ता हूँ की आपको क्या करना चाहिए? पर इन प्रश्नों के उत्तर जानना भी बेहद जरुरी है। दीपावली पर आतिशबाजी जलाना खुशियां मानाने का तरीका है। यह एक तरह से इस दिन सत्य की असत्य पर विजय के उपलक्ष्य में किया जाता है। सभी व्यक्ति पटाखे जलाकर आज के दिन रावण के आतंकपूर्ण शासन की समाप्ति, माता सीता के कैदमुक्त होने और प्रभु श्री राम की विजय का उत्सव मानते है।

उठाने होंगे कुछ समझदारी भरे कदम :

चूँकि छोटे-छोटे बच्चों की खुशियां भी इस पर्व से जुडी है। आप भी याद कीजिये जब आप छोटे थे और दीपावली पर पटाखों के लिए जिद करते थे? इतना ही नहीं यह एक बहुत बड़ा कारोबार भी है। जिससे लाखो लोगों का रोजगार चलता है। यदि दीपावली पर आप पटाखे खरीदते है, तो ही इन गरीब मजदूरों के घर में दिवाली मानाने के लिए पैसे आते है।

जिससे उनके नन्हे मुन्हे बच्चों के चेहरे पर भी खिलखिलाती हंसी आती है। इसलिए बेहतर होगा की दिवाली पटाखे जलाना बंद न करें। परन्तु इसके अन्य विकल्पों पर हमें गौर करना चाहिए। लोगों में कम हानिकारक आतिशबाजियों और पटाखों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

साथ ही इनके निर्माण में कम नुकसान पहुँचाने वाले तत्वों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी जरुरी कदम उठाने चाहिए। जिससे इन पटाखों से होने वाला नुक्सान तो कम हो पर आनंद उतना ही आये। साथ ही लाखों गरीब मजदूर भी बेरोजगार न होने पाएं। जिससे यह हर्षोल्लास का त्यौहार यूँ ही चलता रहे।

सुरक्षित दिवाली के लिए सरकारी आदेश

वर्तमान समय में लोगों के स्वाथ्य की सुरक्षा को लेकर सरकार भी जागरूक हो गयी है। इसीलिए वर्ष 2017 में दिवाली से कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पटाखे खरीदने पर बैन लगा दिया गया था। हालाँकि इस मामले में फिर बहुत सोच-विचार के चलते कोर्ट ने दुबारा फैसला दिया की यह बैन सिर्फ ग्रीन नॉर्म्स का पालन न करने वाले पटाखों पर रहेगा।

यही वजह थी की गत वर्षों में लोग कई तरह के पटाखों को नहीं चला पाएं। इस आदेश में यह भी साफ कहा गया था की पटाखे सिर्फ दो घंटे 8 से 10 ही चलाए जा सकते हैं। वैसे तो जो पटाखे इको-फ्रेंडली हों मतलब की सरकार द्वारा निर्धारित ग्रीन नॉर्म्स के अंतर्गत आते हों। उन्हें आप इस दिवाली पर दिल खोलकर खरीद भी सकते हैं और चला भी सकते हैं।

इसके पीछे शर्त बस इतनी सी है कि ऐसी आतिशबाजियों से वायु प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण कम होना चाहिए। जिससे की जोगों को इनसे नुकसान कम हों। तो आइये अब हम जानते है की पिछले कुछ वर्षों में सरकार की तरफ से किन-किन हानिकारक पटाखों को बैन किया जा चुका है? जो की अब आपको नहीं मिलेंगे।

1. नहीं मिलेगी पटाखों वाली लड़ी

वैसे तो दीपावली पर पटाखों की बड़ी लड़ी लोगों की सबसे ज्यादा पसंदीदा होती है। क्योंकि ऐसी एक लड़ी में अमूमन हजार-हजार बम तक जुड़े होते हैं। इसलिए यह एक बार चलना शुरू होते ही कई मिनटों तक लगातार बजती ही रहती है। परन्तु लोगों को इनसे नुकसान भी सबसे ज्यादा होता है।

क्योंकि यह बहुत तेज शोर भी करती है, और बहुत जहरीला धुआं भी छोड़ती है। इसलिए इनकी बिक्री पर सबसे पहले रोक लगायी गयी थी। क्योंकि यह ग्रीन नॉर्म्स के अंतर्गत बिलकुल नहीं आती है। इसलिए यह अब खुले तौर पर बाजार का हिस्सा नहीं है।

2. अत्याधिक शोर वाले पटाखे

आतिशबाजी की आवाज ही ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। यह स्वास्थ्य के लिए तो नुकसानदायक है ही, साथ ही यह तुरंत बहरा भी बना सकते है। क्योंकि दीपावली में चलाया जाने वाला एक सामान्य बम भी 100 डेसिबल की ध्वनि उत्पन्न करता है।

इतना ही नहीं बहुत से पटाखों का स्तर 150 डेसिबल को भी पार कर जाता है। जबिक इंसान के लिए ध्वनि का मानक स्तर 65 डेसिबल ही है। अतः ऐसे पटाखों से इंसान के दोनों कानों अथवा एक कान से बहरा होने की बहुत संभावना रहती है। हृदय रोगियों में भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

3. वायु प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे

जैसा की हम आपको बता चुके है की पटाखों में हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इनका मिश्रण आतिशबाजी को अधिक घातक बना देता है। जब ये पटाखे चलाये जाते हैं तो यह तत्व हवा में घुल उसे प्रदूषित कर देते है।

जिससे लोगों को ठीक से श्वास लेने में परेशानी होती है। जिसके कारण लोगों को अस्थमा, टीबी, दमा, और फेफड़ों से जड़े कई रोग हो जाते हैं। इसलिए दिवाली पर आप ऐसे पटाखे न खरीदें जो खतरनाक तत्वों से बनते हों।

4. गैर सुरक्षित चीनी पटाखे

हमारे यहाँ बनने वाले पटाखों के मुक़ाबले अधिक सस्ते होने की वजह से चीनी पटाखों और लाइटिंग की मांग व बिक्री बहुत बढ़ जाती है। क्योंकि ये पटाखे ज्यादा रोशनी और तेज़ आवाज करते हैं। लेकिन ये पटाखे प्रदूषण फैलाने के साथ ही दिवाली के लिए सुरक्षित होते हैं जिससे कई हादसे होने का खतरा भी रहता है।

एक रिसर्च में पता चला है कि स्नेक टैबलेट (यानी सांप टिकिया) बच्चों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक पटाखा है। क्योंकि इन काली टिकियों को जलाने से सांप जैसी आकृति बनती है, पर इनसे बहुत ज्यादा खतरनाक तत्व निकलते हैं। इसके अतिरिक्त फुलझड़ी, चकरी, अनार भी कम हानिकारक नहीं है।

2020 में ग्रीन पटाखों से सुरक्षित दिवाली

यदि आप भी यही सोच रहे हैं? की इतने सारे पटाखों को बंद करने से दीपावली पर चलाने के लिए क्या बचा? तो आप परेशान न हों क्योंकि ऐसे बहुत से कम नुकसान वाले पटाखे अभी भी बचे है जिन्हे आप खरीद सकते है। साथ ही आपको बता दूँ की पटाखों के प्रदुषण को कम करने के लिए भी सरकार जागरूक हो चुकी है। इसलिए सरकार द्वारा सुरक्षित दिवाली हेतु ग्रीन पटाखे बनाने और बेचने का प्रस्ताव भी रखा गया था।

इन ग्रीन क्रैकर्स को अब बना लिया गया है। चूँकि यह बिलकुल पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं, पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है। इसलिए इनकी विक्री और इस्तेमाल पर भी कोई रोक नहीं होगी। यह ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं। नीरी एक सरकारी संस्थान है, जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (सीएसआईआर) के अंदर आता है।

जब कम प्रदुषण वाले पटाखे बनाने की बात कही गयी, उसी समय से वैज्ञानिक इस खोज में लग गये और सफलता भी हासिल की, इन पटाखों के इस्तेमाल से प्रदुषण पचास प्रतिशत तक कम होगा। इनके निर्माण की विधि पटाखा फैक्ट्रियों के मजदूरों को सिखाई जाएगी। जिससे की उनका रोजगार भी न छीने और दिवाली भी सुरक्षित हो। इस साल बाजार में इन ग्रीन पटाखों के आने की उम्मीद है।

सुरक्षित दिवाली मनाये ई-पटाखे से

दिवाली के आनंद को बरक़रार रखने का और हानिकारक पटाखों से सुरक्षित रहने का यह भी एक बेहतर विकल्प है। जब कोर्ट के आदेश पर बाजार से कई आतिशबाजियों को हटा दिया गया, और उनकी विक्री या इस्तेमाल पर बैन घोषित हो गया। तब बाजार में इनकी मांग काफी बढ़ गयी। इन्हे सीधे चाइना से भारतीय बाजार में लाया और बेचा जाता है।

यह दिवाली के लिए बेहद सुरक्षित और उतना ही मनोरंजन करने वाले होते है, और सबसे बड़ी बात यह की इनसे बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है। तो चलिए जानते है की क्या होते है ई-पटाखे? और यह कैसे काम करते है? वास्तव में ई-पटाखा आग से चलने वाला कोई साधारण पटाखा नहीं होता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी होती है।

जिसमें छोटी-छोटी एलईडी लाइट्स, साउंड, और एक बैटरी लगी होती है। इसे एक रिमोट की सहायता से फोड़ा जा सकता है। बटन दबाने पर इसमें से पटाखे जैसी आवाज और रंगबिरंगी रोशनियां निकलती है। सबसे अच्छी बात यह है की इसकी बैटरी को फिर से चार्ज करके पटाखे को बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

सुरक्षित दिवाली मानाने के लिए सुझाव

त्यौहार कोई भी हो और कही भी मनाया जाये, पर यह तो सच है की त्यौहार के उत्साह और मस्ती में लोगों से गलतियां तो हो ही जाती है, जिसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ता है। इस वर्ष दिवाली पर ऐसा न हो और आप सुरक्षित रहें इसके लिए यहाँ हम आपको कुछ जरुरी सुझाव और सावधानियों से अवगत करना चाहते है। जिससे की आप दीपों के इस पर्व का पूरी तरह से आनंद प्राप्त करते हुए सुरक्षित दिवाली मनाएं।

यह सभी आवश्यक तथ्य कुछ इस प्रकार है –

1. सावधानी से जलाएं पटाखे

यह तो जाहिर सी बात है की आतिशबाजी करते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए खासतौर से जब आपके साथ छोटे बच्चे भी हो। इसलिए पटाखे जलाते समय बच्चों को जूते चप्पल पहनने को अवश्य कहें जिससे कोई जलती हुई चिंगारी उनके पैरो को न झुलसा पाए। इसके अतिरिक्त उनके कान में ईयरप्लग और चेहरे पर मास्क भी लगाएं, जिससे वह शोर और प्रदुषण से सुरक्षित रहें।

2. पटाखों को खुद से रखें दूर

कभी भी आतिशबाजी चलाते समय उसे हाथ में पकड़ कर बिलकुल भी न जलाएं। यह बेहद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि पटाखा अचानक भी फट सकता है जिससे आप जख्मी हो सकते है। कोशिश करें की इन्हे दूर से किसी अगरबत्ती या अन्य चीज से जलाएं और अपने कपड़ों और चेहरे से एक सुरखित दूरी बना कर रखें। आधे जले हुए पटाखे को फिर से न जलाएं और उसे पानी आदि में डाल दें।

3. सही कपड़ों का करें चुनाव

दीपावली पर बहुत सी घटनाएं आग से जलने की होती है। इससे बचने के लिए अपने कपड़ो का सही तरीके से चुनाव करें। बढ़िया दिखने और फैशन के चक्कर में जल्दी आग पकड़ने वाले कपडे बिलकुल भी मत पहने। इनके स्थान पर ऐसे कपड़ों का चयन करें जो जल्दी न जलते हो, अथवा सूती वस्त्र धारण करें तो अधिक बेहतर होगा।

4. बिजली के सामान से दूर जलाएं

कभी भी पटाखे को किसी बिजली से चलने वाले सामान जैसे – टीवी, फ्रिज, कूलर, एसी, अथवा बिजली के तारों के समीप बिलकुल भी जलाने की गलती न करें। इससे हादसा होने और तुरंत आग लगने का खतरा बहुत अधिक रहता है। साथ ही आपके कीमती सामान को नुकसान पहुंचने की आशंका भी बढ़ जाती है।

5. घर के अंदर बिल्कुल न चलाएं

आतिशबाजी को कभी भी घर के अंदर नहीं चलाना चाहिए। यह किसी भी प्रकार से सुरक्षित और समझदारी भरा काम बिलकुल नहीं है। इससे घर में तुरंत आग लगने या किसी को चोट लगने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। साथ ही यदि घर का ढांचा कमजोर हुआ तो मकान ढ़हने का खतरा भी हो सकता है। इसलिए पटाखों को हमेशा खुले स्थान पर ही जलना चाहिए।

6. सुरक्षा का इंतज़ाम साथ रखें

कभी भी आतिशबाजी से खेलते समय अपने पास सुरखा के पूरे इंतजाम रखने चाहिए। जिससे अचानक हुए किसी भी हादसे को तुरंत सुरक्षा पूर्वक टाला जा सके। इसके लिए आप अपने पास पानी से भरी एक बाल्टी अवश्य रखें। पटाखों को यहाँ वहां न छोड़ें, अधजले पटाखे, अनार, फुलझड़ियों को इस्तेमाल के बाद पानी डाल दें। साथ ही जलने से बचने के लिए कुछ मलहम या ठंडक प्रदान करने वाली वस्तुएं जरूर रखें, अथवा तुरंत पानी के छींटे मारें।

पटाखे से जलने पर घरेलु उपचार

वैसे तो सुरक्षा करना तो बेहद जरुरी है ही, पर ऐसी स्थिति में क्या किया जाये? जब अचानक से कोई हादसा हो जाये? दिवाली के समय जलना तो आम बात है ही क्योंकि, उत्साह की अधिकता में लोग लापरवाही कर ही जाते है? तो ऐसे में कुछ जरुरी घरेलु उपचारो से आप आवश्यक सहायता मिलने तक स्थिति को नियंत्रित कर सकते है।

जलन से तुरंत रहत देने वाले सभी उपाय निम्नलिखित है –

  • जल जाने पर त्वचा पर ठंडा तुरंत पानी डाल दें।
  • हाथ-पैर पानी में डाल कर रखें या गीला कपडा बांधें।
  • जले हुए हिस्से पर थोड़ा नारियल का तेल लगाएं।
  • नारियल का तेल जलन को कम कर राहत देता है।
  • हल्दी को पानी में घोल कर जली त्वचा पर लगाएं।
  • कच्चा आलू या गाजर को पीसकर जले पर लगा दें।
  • तुलसी का रस लगाने से जलन और दाग नहीं होंगे।

जल जाने पर यह गलतियां बिलकुल भी न करें –

  • जली त्वचा पर बर्फ न लगाएं, इससे खून का थक्का बन सकता है।
  • झुलसी हुई त्वचा पर तुरंत मक्खन, घी आदि बिलकुल न लगाएं।
  • फफोले पड़ने पर उन्हें फोड़ने की गलती न करें, संक्रमण हो सकता है।
  • कभी भी कपास या रुई न लगाएं यह जली त्वचा पर चिपक सकती है।
  • ज्यादा जलने पर उस व्यक्ति को तुरंत या अधिक पानी न पिलायें।
  • उसे थोड़ा-थोड़ा करके ही पानी, तरल या ओआरएस घोल पिलायें।
  • जला कपडा त्वचा पर चिपक जाने पर उसे तुरंत खीचें या हटाएँ नहीं।
  • इससे त्वचा के फटने और उस स्थान पर घाव होने का खतरा होता है।

निष्कर्ष व परिणाम

दिवाली हम सभी का त्यौहार है जिसे आज के समय वैश्विक स्तर पर भी मनाया जाने लगा है। दिवाली की धूम भारत से बाहर भी विश्व के कोने कोने में मचने लगी है। ऐसे में हमें सुरक्षित दिवाली मनाए जाने पर ध्यान देना चाहिए। जिससे आपके कीमती पलों में कुछ यादगार लम्हे और जुड़ जाएँ। साथ ही आपको अपने परिवार के साथ कुछ आनंदायक क्षणों को बिताने का अवसर प्राप्त हो सके। चूँकि यह त्यौहार हम सभी के लिए खुशियां और सकारात्मक सोच लेकर आता है इसलिए उन खुशियों को बरक़रार रखें। सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।

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