दिवाली पर शोर वाले पटाखों से बहरापन के साथ बीमारियां

लीजिये फिर आ गया हम सब का सबसे पसंदीदा त्यौहार, जी हाँ, यहाँ हम बात कर रहे है दिवाली की, चूँकि यह दीपों का पर्व है इसलिए इसे दीपावली कहा जाता है। पर आमतौर पर लोग इसे पटाखों का त्यौहार भी मानते है। हालाँकि पटाखों से बहरापन होना एक समस्या है। फिर भी दीपावली के पर्व पर तरह-तरह के पटाखे और आतिशबाजीयां जलाते हुए लोगों का हर्ष देखते ही बनता है।

छोटे बच्चों का मन भी रंगबिरंगी रौशनी वाली फुलझड़ियों, चकरी और अनार आदि को देखकर आनंद से भर जाता है। इसलिए बच्चों में इस त्यौहार का उत्साह सबसे ज्यादा होता है। पर क्या आपको पता है? की इन आनंदायक आतिशबाजियों और पटाखों से बहरापन व अन्य बीमारियां भी हो सकती है?

इस लेख में हम चर्चा करेंगे की आतिशबाजियों से होने वाले नुक्सान क्या है? पटाखों से बहरापन व अन्य बीमारियां कैसे होती है? साथ ही सुरक्षित तरीके से दिवाली मानाने के लिए कुछ जरुरी उपाय भी जानेंगे।

दशहरा व दिवाली पर पटाखे क्यों?

दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला हिन्दू सभ्यता का सबसे ज्यादा प्रचलित त्यौहार है। साथ ही वर्तमान समय में यह विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व बन गया है। हालाँकि जितना पावन यह पर्व है उतनी ही पावन इसकी मान्यताएं भी है। इससे जुडी कथाएं व तथ्य भी बहुत रोचक है। क्योंकि देश के सभी हिस्सों में यह पर्व अलग-अलग मान्यताओं और कथा-सन्दर्भों के अनुसार मनाया जाता है।

प्रभु श्री राम का अयोध्या आगमन :

सबसे प्रचलित सन्दर्भ है भगवान श्री राम का, ऐसा कहा जाता है की दशहरा के दिन प्रभु श्री राम ने दश सिर वाले रावण का वध कर सीता जी को मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाने लगा।

इसके उपरांत भगवान श्री राम जब अपना चौदह वर्ष का बनवास पूरा कर वापस अयोध्या लौटे थे। चूँकि वह अमावस्य की रात थी, इसलिए प्रभु श्री राम का स्वागत करने के लिए नगर वासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। इसी सन्दर्भ से इस दिन का नाम दीपावली पड़ा।

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नरकासुर वध और माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति :

कुछ अन्य प्रचलित व रोचक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से स्वयं माँ लक्ष्मी और वैद्य धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे। इसलिए धन की देवी माँ लक्ष्मी के स्वागत में दीप जलाये गए। पांच दिवसीय इस पर्व में दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।

साथ ही कहा जाता है की इसी समय भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। तो अगले दिन अमावस्या होने पर लोगों ने दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी। इसी कारण ही दिवाली का दिन नरक चौदस (चतुर्दशी) के रूप में भी मनाया जाता है।

नरकासुर-वध-व-समुद्रमंथन-से-माँ-लक्ष्मी

इसी प्रकार की बहुत सी रोचक मान्यताओं के कारण देश के विभिन्न प्रांतों में दशहरा व दिवाली का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास के साथ दीपक जलाकर व पटाखे फोड़कर मनाया जाता है। जिसमें बच्चे, बूढ़े, व नौजवान सभी अपने परिवार सहित माँ लक्ष्मी का पूजन कर नए वस्त्र पहनते है, और आपस में मिठाइयां बांटकर खुशियां मानते है।

पटाखों से बहरापन कैसे होता है?

पटाखों के इस त्यौहार पर भिन्न-भिन्न किस्म की आतिशबाजी जलाने का प्रचलन है। इस दिन हम सभी पटाखों के माध्यम से अपनी खुशियां जाहिर करते है। साथ ही अपने परिवारजनो, मित्रों, सहकर्मियों, आदि के साथ आनंद प्राप्त करते है। कई घंटों तक लोगों द्वारा आतिशबाजी करने का उत्साह देखते ही बनता है।

जिससे रात के समय पूरा आसमान रंगबिरंगी रोशनियों से जगमगा जाता है। और वातावरण पटाखों की तेज़ आवाज से गूँज उठता है। परन्तु वर्तमान समय में लोगों की बढ़ती मांग और नए नए किस्म के और अनोखे पटाखे बाजार में लाने की होड़ ने इस त्यौहार का आनंद ख़राब कर दिया है। जिसके चलते सुरक्षा नियमों को भी ताक पर रखकर और अधिक आवाज व रौशनी पैदा करने वाले क्रैकर्स (पटाखे) बाजार में बेचे जा रहे है।

इन सभी गैर सुरक्षित आतिशबाजियों का प्रयोग करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। क्योंकि यह वायू प्रदुषण के साथ साथ ध्वनि प्रदुषण भी फैलाते है। जिससे कान में समस्याएं अथवा बहरापन की शिकायत हो जाती है।

( और पढ़ें – कान की समस्याओं का आयुर्वेदिक उपचार )

पटाखों से बहरापन व कान में निम्न समस्या हो सकती है –

पटाखों से बहरापन
पटाखों से बहरापन

कितने तेज़ शोर वाले पटाखों से बहरापन?

वातावरण में मौजूद किसी भी वस्तु के टकराने या हवा से घर्षण होने पर ध्वनि उत्पन्न होती है। जो हमारे कानों को सुनाई देती है। पर कभी कभी यह ध्वनि असहनीय भी हो सकती है। जिससे संवेदी कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है। ठीक इसी प्रकार जब दिवाली पर तेज़ शोर करने वाले सुतली बम, पटाखे आदि फोड़े जाते है।

तो इस धमाके से उत्पन्न भीषण ध्वनि तरंगे आपके कान के परदे पर टकराती है। काफी हद तक इस धमाके को युस्टेशियन नलिका द्वारा सोख लिया जाता है। परन्तु जब तीव्रता बहुत अधिक हो तब सुनने की क्षमता खोना तय है। आपको बता दूँ की मनुष्य सामान्यतः 65 डेसीबल की ध्वनि बर्दाश्त कर सकता है। इससे अधिक ध्वनि सुनने पर तकलीफ हो सकती है।

( और पढ़ें – सुनने में समस्या का आयुर्वेदिक उपचार )

अक्सर लोग दहशरा, दिवाली व उसके बाद आने वाले नए साल पर सामान्य से अधिक तीव्रता वाले पटाखे और बम गोले फोड़ते है। जो 65 डीबी से अधिक का शोर उत्पन्न करते है। कुछ आतिशबाजी के धमाके 150 डेसीबल या उस से भी अधिक तीव्रता की आवाज उत्पन्न करते है। जिनसे एक बार में ही सुनने की शक्ति जा सकती है, और आप सदा के लिए दोनों कानों या किसी एक कान से बहरे हो सकते है।

( और पढ़ें – बहरापन का आयुर्वेदिक उपचार )

कुछ पटाखों से बहरापन व अन्य बीमारियां

यदि आप नहीं जानते है तो आपको बता दूँ की पटाखों में सोडियम, जिंक, कॉपर, केडियम, लेड, नाइट्रेड, सल्फर आदि कई जहरीले तत्व मौजूद होते है। जो वातावरण में घुलकर हवा को प्रदूषित करते हैं। जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है।

इन पटाखों से भारी मात्रा में निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड सहित सल्फर डाइआक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड आदि जैसी गैसें वायु में घुलकर वातावरण में जहरीली गैसों की मात्रा बढा़ती है। यह हृदय रोग व दमा के मरीजों के लिए नुकसानदेह होती हैं।

हानिकारक आतिशबाजी से निम्नलिखित बीमारियां हो सकती है –

1. कान के रोग होना

जैसा की आप इस लेख में पढ़ चुके है की हानिकारक पटाखों का सबसे ज्यादा बुरा असर आपके कानों पर ही पड़ता है। जिससे आपके कान में विभिन्न प्रकार की जटिलताएं व तकलीफ होने का खतरा बना रहता है। क्योंकि अचानक से आपके आसपास कोई बम फटने (120 डीबी) से कान को हानि होती है।

क्योंकि लगातार काफी देर तक तेज़ आवाज वाले पटाखों (120-200 डेसीबल) के संपर्क में रहने से आपके कान बहुत अधिक प्रभावित होते है। जिससे कुछ समय तक कान में सीटी बजने के साथ अचानक बहरापन होना भी मुमकिन है।

( और पढ़ें – कान में सीटी बजने का आयुर्वेदिक उपचार )

2. श्वास संबंधी समस्याएं

बहुत अधिक बारूद से भरी आतिशबाजी या पटाखे जैसे की – रोशनी, फुलझड़ी, अनार, चकरी, काली सांप की टिकिया, आदि से भारी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसों का धुआं निकलता है।

यह आपके और छोटे बच्चों के फेफड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अस्थमा, साँस फूलना, फेफड़ों का कैंसर, दमा आदि खतरनाक रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे सांस की बिमारियों के कारण आपके शरीर की सम्पूर्ण सेहत पर भी विपरीत असर पड़ता है।

( और पढ़ें – दीपावली पर कैसे सेहत का रखें ध्यान? )

3. गर्भपात का खतरा

गर्वभावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए यह पटाखे बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित हो सकते है। इससे निकलने वाली विषाक्त गैसों के बुरा असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर हो सकता है। जिससे असमय ही गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही माँ के साँस द्वारा यह धुआं शिशु तक पहुंच जाता है।

जिससे उसे फेफड़े, साँस व दिमाग से जुड़े रोग हो सकते है। इतना ही नहीं इन तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों से गर्भस्थ शिशु को जन्मजात बहरापन अथवा नवजात बच्चों में श्रवण हानि तक हो सकती है। जिससे बच्चा जीवन के शुरुआती समय में ही श्रवण बाधित हो सकता है।

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4. त्वचा सम्बन्धी विकार

इन पटाखों को दूधिया सफ़ेद रौशनी प्रदान करने के लिए इनमे काफी मात्रा में एलुमिनियम का इस्तेमाल होता है जो की आपकी त्वचा के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है। इससे आपकी कई प्रकार के त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे – डर्मेटाइटिस आदि हो सकते है।

साथ ही इनके इस्तेमाल से आपकी तवचा जल भी सकती है जिससे आपकी त्वचा पर फफोले, लाल चकत्ते, और दाने आदि भी हो सकते है। इसलिए दिवाली और होली पर त्वचा की सुरक्षा करना बहुत ही जरुरी है।

5. ह्रदय सम्बन्धी रोग

आतिशबाजी से निकलने वाला गाढ़ा धुआं सांस के साथ अंदर जाने से यह सभी जहरीली अशुद्धियाँ आपके खून में मिल जाती है जिससे आपके दिल पर भी इनका बहुत खतरनाक असर होता है। और ह्रदय सम्बन्धी रोगों के लक्षण आपमें विकसित हो सकते है।

यदि कोई व्यक्ति पहले से ही दिल का मरीज है। तो उसके लिए खतरा और अधिक हो जाता है। साथ ही इनके अधिक शोर से बहरापन के अलावा दिल का दौरा पड़ने या अचानक धड़कन रुकने से व्यक्ति की मौत होने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है।

( और पढ़ें – बहरापन से जुड़े मिथक )

6. मस्तिष्क की बिमारी

विषाक्त गैसों का धुआं वातावरण में घुलने से वायु भी दूषित हो जाती है और इनमे पाए जाने वाले हानिकारक तत्व किसी बच्चे या व्यस्क व्यक्ति के दिमाग पर विपरीत प्रभाव डालते है। जिससे उन्हें मस्तिष्क से जुड़े कई रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। और माँ के गर्भ में पल रहे शिशु के दिमागी विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है।

( और पढ़ें – भाषा विकार से जुड़े मिथक )

उसके सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में समस्या से वह मानसिक रोग का शिकार हो जाते है। जिससे उन्हें बोलने में समस्या के साथ आटिज्म, एडीएचडी, हकलाना, तुतलाना, अप्रेक्सिया, अफेजिया आदि भाषा विकार हो सकते है।

( और पढ़ें – हकलाने – तुतलाने के घरेलु उपचार )

7. उच्च रक्तचाप होना

पटाखे बनाने में प्रयोग होने वाले बहुत से पदार्थ अत्यधिक हानिकारक होते है। जिनका आपके शरीर में जाना भी कम जानलेवा नहीं है। क्योंकि इन अशुद्धियों के आपके रक्त में मिल जाने से बहुत नुकसान होता है। और आपको उच्च रक्तचाप की समस्या से भी गुजरना पड़ सकता है।

क्योंकि यह आपके ह्रदय की गति को अनियमित कर देते है। जिससे शरीर में खून के संचार पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है। तथा व्यक्ति को दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

8. आँखों में विकार

पटाखों से निकलने वाली तेज़ सफ़ेद रौशनी आँखों को चौंधियाने के लिए काफी होती है। जिससे आपको कुछ समय तक अस्थायी दृष्टिहीनता (कुछ दिखाई न देना) हो सकती है। साथ ही इसके विषाक्त पदार्थ धुंए के रूप में आपकी आँखों के संपर्क में आ जाते है।

जिससे आँखों में कई प्रकार के रोग और नजर से जुडी समस्याएं होना आम बात है। यदि आप लगातार इन रोशनियों को देखते रहे, तो आपको स्थायी रूप से आँखों की रौशनी चले जाने का सामना भी करना पड़ सकता है।

9. हार्मोनल डिसऑर्डर

इन सभी आतिशबाजियों में कई तरह की सफ़ेद, लाल, हरी रौशनी करने के लिए धातुओं को मिलाया जाता है, तथा नीली रोशनी उत्पन्न करने के लिए तांबे का मिश्रण डाला जाता है। अतः इनके जलने पर निकलने वाली गैसें विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ा देती हैं। और बच्चों व वयस्कों में हार्मोनल डिस्ऑर्डर का कारण भी बन सकती हैं। बच्चों में हार्मोनल डिस्ऑर्डर के कारण उनकी लंबाई और सेहत भी विपरीत रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

कैसे रोकें पटाखों से बहरापन?

यह तो आप जान ही गए होगे की पटाखों से कितनी समस्याएं होती है? तो इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए? अथवा इससे निजात पाने का क्या उपाय है? क्या हम क्रैकर्स (आतिशबाजी) जलाना बंद कर दें? क्या दीपावली के अवसर पर पटाखे इस्तेमाल करना गलत होता है?

क्या आतिशबाजी के इस्तेमाल से यह पर्व खराब हो रहा है? और क्या इस अवसर पर पटाखे न जलान ही एकमात्र उपाय है? खैर इसका फैसला तो आप पर ही छोड़ता हूँ की आपको क्या करना चाहिए? पर इन प्रश्नों के उत्तर जानना भी बेहद जरुरी है। पटाखे न जलाना कोई उपाय नहीं है, इसकी वजह है की यह कारोबार लाखो गरीब मजदूरों को रोजगार देता है।

इनके बंद होने से वह बेरोजगार हो जायेंगे, और शायद उनके घर दीपावली मानाने के लिए पैसे भी न आये। इससे बेहतर यह होगा की आप इन पटाखों को जलाते समय सावधानी बरते, और बच्चों के साथ होने पर अधिक ख्याल रखें। कम हानिकारक पटाखे इस्तेमाल करें, सुरक्षा के नियमों का पालन करें।

पटाखों से बहरापन रोकने के उपाय

दीपावली के दिन पटाखे न जलाने से, सत्य पर असत्य की जीत का जश्न मानना तो मुमकिन नहीं है। साथ ही बच्चों मायूस चेहरे इस पर्व के आनंद को भी प्राप्त नहीं होने देंगे। क्योंकि पटाखे जलना गलत नहीं है पर इन्हे गलत तरीके से जलाना गलत है।

तो आइये जानते है की उन सभी सुरक्षा के नियमों को जिससे आप दीपावली का सुरक्षित तरीके से आनद भी ले सकते है। साथ ही पटाखों से बहरापन व होने वाली अन्य बिमारियों से निजात भी पा सकते है।

यह सभी सुझाव या सुरक्षा नियम निम्नलिखित है –

  • बहुत तेज़ शोर वाले और कम सुरक्षित पटाखे न खरीदें।
  • कुछ दूर से जलाये जा सकने वाले पटाखे ही खरीदें।
  • अचानक किसी के पीछे या कपड़ों के पास पटाखे न जलाएं।
  • माचिस या गैस लाइटर के स्थान पर अगरबत्ती प्रयोग करें।
  • बहुत अधिक शोर से बचने के लिए कानों को ढंककर रखें।
  • आप चाहें तो कानों में ईयरप्लग या इयर मफ़ लगाएं।
  • हानिकारक गैसों व धुंए से बचने के लिए नाक मुँह को ढंकें।
  • अपने मुँह पर पर कपडा बांधें या कपडे का मास्क लगाएं।
  • ऐसे कपड़ें पहने जो बहुत जल्दी आग न पकड़ते हो।
  • आप कोशिश करें की पूरी बांह के सूती वस्त्र ही पहने।
  • जले हुए अनार, फुलझड़ी आदि को यहाँ वहां न फेंकें।
  • पानी से भरी एक बाल्टी रखें उसमें इन्हे डाल दें।
  • आग लग जाने या जल जाने पर तुरंत पानी डाले।

निष्कर्ष व परिणाम

दिवाली का त्यौहार हम सभी का पसंदीदा त्यौहार है। क्योंकि इस दिन हम सभी नए नए कपड़ों को पहनकर माँ लक्ष्मी और गणेश जी पूजा अर्चना कर धन-धान्य और वैभव की कामना करते है। साथ विभिन्न प्रकार के पकवानो और मिठाइयों का मज़ा लेते है। इन सब में इस पर्व के आनंद को दुगुना करने का काम करते है बच्चे जो इस त्यौहार पर पटाखे जलने के लिए बहुत अधिक उत्साहित रहते है। और उनके उत्साह को देखकर आप उनके साथ बच्चे बन जाते है।

पर कभी कभी आपकी छोटी सी गलती इस पूरे पर्व के आनंद को दुःख और तकलीफ में बदल सकती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है की 27 अक्टूबर 2019 को आने वाली इस दिवाली पर आप सुरक्षा के नियमों का पालन करे और सावधानी पूर्वक दीपावली का आनंद लें। पढ़ने के लिए धन्यवाद आपको दीपावली शुभ हो और माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहे।

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