कंडक्टिव हियरिंग लॉस

हमारे आसपास के बाहरी वातावरण में उत्पन्न होने वाली ध्वनियाँ हर समय हमारे कानों में गूंजती है। भले ही आप उन्हें सुनना चाहते हो या नहीं, जी हाँ यह सच है। पर जब यह ध्वनियाँ हमारे कान के अंदर नहीं पहुँचती है। तो इसे कंडक्टिव हियरिंग लॉस (प्रवाहकीय श्रवण हानि) कहते है। जिसके फलस्वरुप आवाज कान के पर्दे तक नहीं पहुँचती है। और आपको लगता है की आसपास बहुत शांति है, पर यह शान्ति किसी तूफ़ान से पहले की शान्ति भी हो सकती है। जो बाद में किसी बड़ी गंभीर समस्या का रूप भी ले सकती है। इसलिए आपको इन संकेतों को समझना चाहिए। किसी भी प्रकार की बिमारी से लड़ने के लिये अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए।

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तो चलिए फिलहाल हम, अब बात करते है की प्रवाहकीय श्रवण-हानि (कंडक्टिव हियरिंग लॉस) क्या है? यह कैसे आपको तकलीफ प्रदान कर सकता है? साथ ही इसके निवारण के विकल्प भी जानिए।

प्रवाहकीय सुनने की समस्या क्या है?

हमारा बाहरी कान ध्वनियों को एकत्रित करता है। यह अपनी घुमावदार कान की रचना (पिन्ना) की सहायता से इन ध्वनियों को सीधे कान की नलिका में भेज देता है। जिससे की आगे यह नलिका से होती हुई कान के परदे पर पड़ती है। इस हरकत से कम्पन पैदा होता है, जो ध्वनियों के अनुसार तीव्र या मंद होता है।

यह संकेत तीन छोटी हड्डियों औसिक्ल्स से होते हुए आगे आंतरिक कान में पहुंचते है। जहां यह कोक्लीअ (कर्णवृत) द्वारा अवशोषित कर लिए जाते है। कर्णवृत से जुडी श्रवण तंत्रिका (कान की नस) इन्हे दिमाग को भेज देती है। पर आपको पता है इस प्रक्रिया से क्या होता है? जी हाँ आप सही समझे, इससे आप आवाज को सुन पाते है।

कान की रचना

यदि किसी कारणवश ध्वनि के इस मार्ग में कोई बाधा उत्पन्न हो जाये तो क्या होगा? जी हाँ बिलकुल सही, आप आवाज को नहीं सुन पाएंगे, और ध्वनि सुन पाने की इस अक्षमता को चिकत्सीय जगत में प्रवाहकीय श्रवण हानि (कंडक्टिव हियरिंग लॉस) कहते है। इसके नाम से ही समस्या का पता चल जाता है।

जब बाहरी कान और मध्य कान द्वारा आंतरिक कान तक पहुंचने वाली इस ध्वनि के प्रवाह में रूकावट हो जाती है। तो अस्थाई रूप से सुनने में समस्या या आंशिक बहरापन हो जाता है। जो की समय बीतने का साथ स्थायी (संवेदी श्रवण हानि) भी हो सकता है। ठीक इसी प्रकार बच्चो में श्रवण हानि होने से बच्चे श्रवण बाधित हो सकते है।

कंडक्टिव हियरिंग लॉस के लक्षण

यह समस्या अपने शुरूआती समय में बहुत अधिक गंभीर नहीं होती है। क्योंकि कई बार यह कान में होने वाली अस्थायी रुकावटों से भी हो जाती है। यह कुछ प्रकार की कान की बिमारियों से भी होता है। इसलिए कुछ लक्षण उनसे मिलते-जुलते होते है, क्योंकि यह एक प्रकार से आंशिक बहरापन माना जाता है जिससे आपको कुछ इस प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते है –

कंडक्टिव (प्रबाहकीय) सुनने में समस्या

कंडक्टिव हियरिंग लॉस के कारण

कंडक्टिव हिययरिंग लॉस (प्रवाहकीय श्रवण हानि) के पीछे पाए जाने वाले कुछ कारण सामान्य, पर कुछ गंभीर भी होते है। जो आपके बाहरी कान से आने वाली ध्वनियों को भीतरी कान में पहुंचने नहीं देते है। आमतौर पर ऐसा कान की सफाई न होने के कारण होता है, पर यदि यह समस्या किसी अन्य वेस्टिबुलर रोग द्वारा उत्पन्न हुई है, तो परिणाम गंभीर भी हो सकते है, जिनमे –

आंतरिक कान में सूजन

प्रवाहकीय श्रवण हानि की जांच

कभी-कभी कंडक्टिव हिअरिंग लॉस के साथ सेंसोरिनुराल हियरिंग लॉस (संवेदी बहरापन) भी देखने को मिलती है। यदि यह दोनों एक साथ हो गयी है तो फिर इस अवस्था को मिश्रित श्रवण हानि कहते है। इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए की आपको दोनों में से किस प्रकार की श्रवण हानि हुई है? या दोनों साथ हुई है? डॉक्टर इलाज से पहले कुछ जांच परिक्षण करता है, जिनमें –

  • ओटोस्कोपी (Otoscopy) : कान की नलिका / परदे की जांच
  • टैंपॉनोमेट्री (Tympanometry) : मध्य कान का परिक्षण
  • ट्यूरिंग फोर्क (tuning fork) : कम्पन सुनने / महसूस करने का परिक्षण
  • ऑडियोमेट्री (Audiometry) : ध्वनि सुनने का परिक्षण
  • सीटी स्कैन (CT scan) : कान की (kan ki) आंतरिक जांच

कंडक्टिव हियरिंग लॉस का इलाज

बीमारी की तीव्रता और कारण के आधार पर, प्रवाहकीय श्रवण हानि का उपचार सरल अथवा जटिल भी हो सकता है। बच्चों में कान का मैल के कारण होने परेशानी आसानी से ठीक हो जाती है। साथ ही यूस्टेशियन ट्यूब का विकार भी दवा की मदद से ठीक किया जा सकता है। कान में संक्रमण अथवा बच्चों में ओटिटिस मीडिया की स्थिति में मदद की जा सकती है।

कंडक्टिव हियरिंग लॉस

इस प्रक्रिया में आपके कान में एक छोटे से चीरे द्वारा तरल निकलकर समस्या को कम किया जा सकता है। यदि श्रवण अधिक गंभीर कारणों से बिगड़ा हुआ है, जैसे कि कान में हड्डी बढ़ना (ओटोस्क्लेरोसिस) आदि जिनके कारण कान के पर्दे के पीछे स्थित ओस्कल्स को नुक्सान होता है। तो अन्य उपचार प्रक्रियाओं की आवस्यकता पड़ती है।

हालांकि, आधुनिक शल्यचिकित्सा द्वारा औसिक्ल्स की तीन छोटी हड्डियों का प्रतिस्थापन किया जा सकता है। या फिर डॉक्टर आपको कान की मशीन अथवा कॉक्लियर इम्प्लांट का सुझाव भी दे सकते है। यह प्रवाहकीय श्रवण हानि के लिए एक उपचार ही है। जो ध्वनि की तीव्रता बढाकर फिर से आवाज सुनने की क्षमता बढ़ा देता है।

निष्कर्ष व परिणाम

कान ही एक ऐसा अंग है जो ध्वनियों के माध्यम से दिमाग को महत्वपूर्ण जानकारी भेजने का काम करते है। यदि किसी प्रकार से कोई कान में विकार या समस्या के लक्षण उत्पन्न हो जाये और ध्वनियाँ हमारे कान से होती हुई दिमाग तक पहुंचने में सक्षम न हो पाएं तब यह बहुत ही चिंताजनक बात है क्योंकि इस अवस्था में हम अपने आसपास हो रही घटनाओं से अनजान हो जाते है। और जो कुछ भी हमारी आँख नहीं देख सकती वह हमें मालूम ही नहीं चलेगा। इसलिए कानो की सुरक्षा और कान की देखभाल एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इनका ख्याल रखें। बेहतर सुने व स्वस्थ रहें।

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